नफरत तो बहाना है तुमसे, ये तो बुज़दिली है उनकी
बाहें फैलाए हुए है हम , बदना तो आगे है तुझे ही
तू कुदरत का बेमिसाल तोहफा कबूल न कर सका जो
बड़ा ही बदनसीब है वो जो समझ सका न तुझे ही ,
आओ उंगली थामो और चलो कदम से कदम मिलाओ
मंज़िले खड़ी इंतज़ार मे , मगर पाना तो है तुझे ही
ज्ञान की मिसाल बनकर इन नफ़रतों को बेमानी बनाओ
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