Monday, 31 December 2012

एक एहसास...तुम्हारे जाने के बाद...


एक एहसास...तुम्हारे जाने के बाद...
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जब तुम चले गये थे...
नहीं तुम गये ही नहीं ...शायद यहीं हो ...

पर तुम गये...तो फिर ये?.. एक पहचानी सी खुशबू, लगा तुम यहीं हो...
इस फैली खामोशी में वही हंसी, ठहाको की गूंज...
यहां की हर चीज पर तुम्हारे स्पर्श की अनुभूति...
बिल्कुल वही सांसो की हल्की फुसफूसाहट...

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सुनो!!
..आती हूँ..चौक कर खडी हो गई...
ओह! पर तुम तो चले गये, फिर भी कानो में वही परिचित पुकार..

हां, तुम तो गये ही नहीं...
मेरे दिल से...मेरे जेहन से...

हं! तभी क्यूं लगे मुझे कि तुम हो यहीं मेरे आस पास...
मेरे हर काम में, सोच में, बातों में तुम्हारे होने का एहसास...
कि तुम यहीं हो मेरे पास...

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