Monday, 31 December 2012
पलके...
सिसकते आँसुओ की बुंदों में अक्सर सँजोये सपने बह जाते है ...
कोशिश इन्हे रोकने की तो बहुत करती हैं पलके...
फिर भी न जाने क्यूं ये छलक जाते हैं ...
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